86 वर्ष के पद्मविभूषण रतन टाटा लाखों युवाओं के रोल मॉडल

टाटा ग्रुप के अध्यक्ष रहे रतन टाटा के जीवन की एक खास कहानी

86 year old Ratan Tata is a role model for millions of youth.

सेलिब्रिटी की बात करें तो तीन तरह के सेलिब्रिटी दिखते हैं…

क्या आपने सेलिब्रिटीज बिजनेसमैन के बारे में सुना है, जी हां सेलिब्रिटीज बिजनेसमैन, दरसल सेलिब्रिटीज तीन तरह के होते हैं  नंबर एक फिल्म स्टार नंबर दो खिलाड़ी और नंबर तीन पॉलिटिशियन l  सुनने में तो यह अलग ही लगता है लेकिन जी हां रतन टाटा #RATANTATA एक अलग ही तरह के बिजनेसमैन सेलिब्रिटी है l अमीरों की लिस्ट में कौन से नंबर पर आते हैं पता नहीं, और हमें पता भी नहीं करना है l क्योंकि रतन टाटा की लिस्ट ही अलग है मेहनत हार्डवर्क #Hard Work इज्जत Respect  ईमानदारी #Honesty नेशन बिल्डिंग #Nation Building  जैसे शब्दों से जुड़ गए हैं l और यही कारण है कि 2009 में भारत सरकार उन्हें #पद्मविभूषण से सम्मानित कर चुकी है यही कारण है कि देश भर के लाखों युवा उन्हें रोल मॉडल की तरह देख पा रहे हैं l पूरे #हिंदुस्तान में शायद वे ऐसे एकमात्र व्यक्ति होंगे जिनके जीरो Zero हिटलर है, कोई उनको नफरत नहीं करता l बहुत लोगों को शायद यह बात पता नहीं होगी रतन टाटा एक लाइसेंसी धारी पायलट व स्किल्ड पायलट भी है और जहाज उड़ा सकते हैं 2007 में रतन टाटा Become the first Indian to pilot #F-16Falcon.

नारायण मूर्ति ने स्टेज परर रतन टाटा के पैर क्यों छूये

नारायण मूर्ति ने स्टेज पर रतन टाटा के पैर क्यों छूये…

एक इवेंट की पिक्चर अभी हाल ही में बड़ी वायरल हुई है जिसने भी पहली बार देखी वह अचंभित हो गए जब #इंफोसिस के फाउंडर 77 साल के नारायण मूर्ति ने स्टेज पर जाकर उनके पैर छू लिए इससे हम सब उनके कद का अंदाजा लगा सकते हैं व्यावसायिक दोनों एक दूसरे के #competitor प्रतिद्वंद्वी हैं l लेकिन नारायण मूर्ति स्टेज पर जाते हैं और रतन टाटा के पैर छूते हैं l

Donation of Rs 1500 crore to PM fund during Covid-19 pandemic
महादानी रतन टाटा कोविद-19 दोरान 1500 करोड़ रूपया पीएम फंड में दान…

कोविद-19 की महामारी के दौरान देश में #फाइनेंशियल #क्राइसिस पैदा हो रहा था इस दौरान उन्होंने 1500 करोड़ रूपया #पीएम फंड में दान कर दिए l आनंद फिल्म में राजेश खन्ना का डायलॉग था कि बाबू मुशाई जिंदगी बड़ी होनी चाहिए लंबी नहीं लेकिन रतन टाटा की जिंदगी लंबी भी है और बड़ी भी l 28 दिसम्बर 1937 में पैदा हुए आज 86 साल के हो गए हैं और इन 86 सालों में जो कारनामें किए हैं उनका लेखा-जोखा कर पाने के लिए कई दिन कई हपते लग जाएंगे तब भी उनके कारनामों का लेखा-जोखा करना आसान नहीं होगा l आज उनके 86 में जन्म दिवस पर उनके जीवन के कुछ पहलुओं पर चर्चा करेगे l

रतन टाटा ने अपने 21 साल के राज में टाटा ग्रुप को शिखर पर पहुंचाया         

    दोस्तों बिजनेस के हिसाब से 90% स्टार्टअप पहले 5 सालों में फेल हो जाते हैं व 10% कम्पनिया 10 साल तक ही चल पाती हैं ओर दम तोड़ देती है, लेकिन 0.1% कंपनियां होती हैं जो 100 साल से ऊपर की यात्रा तय करती हैं l ऐसे ही  अपने टाटा ग्रुप को 150 साल से ज्यादा हो गए हैं l टाटा ग्रुप में आज 100 से ज्यादा कंपनी आती है जो 100 से ज्यादा देशों में चल रही है इन कंपनियों में सुई से लेकर स्टील तक, चाय से लेकर फाइव स्टार होटल तक, जिसमें मुंबई के ताज होटल भी शामिल है और नैनो कार से लेकर हवाई जहाज तक सब कुछ मिलता है और बनता है भारत में शायद ही ऐसा कोई घर होगा जहां टाटा ग्रुप का कोई प्रोडक्ट ना हो और टाटा का नमक तो आप सभी लोगों ने खाया ही होगा l

यहां हम टाटा ग्रुप के अध्यक्ष रहे रतन टाटा के जीवन की एक खास कहानी बताने जा रहे हैं जो सभी के लिए #इंस्पिरेशन है l रतन टाटा की जिंदगी उतार-चढ़ाव से भरी रही है उनका जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के दत्तक पुत्र नवल टाटा के बेटे हैं रतन टाटा l  रतन टाटा जब महज 10 साल के थे तब उनके मां-बाप का तलाक हो गया पिता नवल टाटा व माँ सूनी टाटा अलग-अलग हो गए यानी जिंदगी के शुरुआती दौर में ही ईश्वर ने परीक्षा लेनी शुरू कर दी उन्हें और उनके भाई जिमी टाटा को उनकी दादी नवाज़ बाई टाटा ने संभाला l वे मुंबई में टाटा पैलेस में रहते थे उनके घर एक कार थी बड़ी-बड़ी लाइट वाली महंगी और बेहद लग्जरी, तड़कती भड़कती  बड़ी सी कार, इस कर से ड्राइवर जब कभी उन्हें स्कूल लेने आता तो वह उस कार पर आने की जगह पैदल आना पसंद करते l दर्शल रतन टाटा बेहद शर्मीले मिजाज के थे, उन्हें अच्छा नहीं लगता था कि ऐसी कार की वजह से वे सबके नोटिस में आए, वो दादी से अक्सर कहा करते थे कोई साधारण सी छोटी कर भेज दिया करो lआज भी हम उन्हें देखते हैं तो उनकी #पर्सनालिटी में बड़ी सौम्यता दिखाई देती है बहुत ही हम्बल बहुत सिंपल l

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रतन टाटा ने साल 2008 में कॉर्नेल यूनिवर्सिटी को 50 मिलियन डॉलर दिया दान

रतन टाटा 1955 से 1962 तक अमेरिका में रहे #Cornell University से उन्होंने आर्किटेक्चर और स्ट्रक्चर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की उन्होंने आर्किटेक्चर में बैचलर डिग्री साल 1959 में हासिल की. रतन टाटा ने साल 2008 में कॉर्नेल यूनिवर्सिटी को 50 मिलियन डॉलर दान दिया था. उस वक्त कॉर्नेल यूनिवर्सिटी को मिला सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय दान था अमेरिका में नौकरी करते हुए उनका वही शादी करके सेटल होने का इरादा था लेकिन ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था दादी ने अपनी खराब सेहत का हवाला देते हुए वापस भारत बुला लिया रतन टाटा ने वहां पर नौकरी ठुकराकर टाटा ग्रुप के साथ अपने करियर की शुरुआत एक साधारण कर्मचारि के तौर पर करी उन्होंने टाटा ग्रुप ज्वाइन किया वह भी एक अप्रेंटिस की तरह l टेल्को जिसे अब टाटा मोटर्स कहा जाता है और टेस्को अब टाटा स्टील है यहां उन्होंने आम वर्कर्स के साथ काम शुरू किया, पैदल ही जाते थे सबके साथ लाइन में लगकर खाना खाते और सबके साथ हॉस्टल में रहते कपड़े धोते, आम वर्कर्स की तरह जिंदगी जीने वाले रतन टाटा साल 1991 आते-आते टाटा ग्रुप के अध्यक्ष बन गए और 2012 में रिटायर हुए l रतन टाटा ने अपने 21 साल के राज में टाटा ग्रुप को शिखर पर पहुंचा दिया कंपनी की वैल्यू 50 गुना बढ़ा दी l वो फैसले लेते गए और उन्हें सही साबित करते गए l

टाटा ग्रुप के चेयरमेन रहते हुए उन्हें बड़ी-बड़ी कंपनियों जैसे देबू #Daewoo, कोरस #Cours,  टेटली #Tetly लैंड रोवर #Land Rover, जैगवार #Jaguar को ओवरटेक किया l उन्होंने टाटा ग्रुप पर ग्लोबल ऑर्गेनाइजेशन बना दिया जिसके रेवेन्यू का लगभग दो तिहाई हिस्सा ओवरसीयस मार्केट ऑपरेशन में आ रहा था,

रतन टाटा अपनी कार कंपनी फोर्ड के पास बेचेने क्यों गये-

 यह कहानी एक ऐसी हस्ती की है जिसने अपने अपमान का बदला ताव में आकर नहीं बल्कि सफलता के शिखर पर जाकर सफलता का झंडा गाड़ कर लिया l कहते हैं अक्सर लोग अपने अपमान का बदला तत्काल लेने की कोशिश करते हैं लेकिन महान लोग अपने अपमान को भी अपनी सफलता की सीढ़ी बना लेते हैं l टाटा कंपनियों को ऊंचाइयों पर पहुंचाने वाले रतन टाटा पर यह कहावत बिल्कुल खरी उतरती है 1998 में जब टाटा मोटर्स ने अपनी पहली पैसेंजर कार इंडिका बाजार में उतार दी ये देश की पहली #हैचबैक कार थी, जो कि डीजल इंजन के साथ आती थी और यह रतन टाटा का ड्रीम प्रोजेक्ट था जिसके लिए उन्होंने जी तोड़  मेहनत की लेकिन इस कार को बाजार से वह रिस्पांस नहीं मिल सका जिसकी उन्होंने कल्पना की थी इस कारण टाटा मोटर्स घाटे में जाने लगी कंपनी से जुड़े लोगों ने घाटे को देखते हुए रतन टाटा को इसे बचने का सुझाव दे दिया और ना चाहते हुए भी उन्हें इस फैसले को स्वीकार करना पड़ा l वे अपनी कंपनी को बेचने के लिए अमेरिका की कंपनी फोर्ड के पास गए रतन टाटा और फोर्ड के मालिक विलफोर्ड के बीच मीटिंग हुई कई घंटे तक मीटिंग चली इस दौरान विलफोर्ड ने रतन टाटा के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया और कहा जिस व्यापार के बारे में आपको समझ और जानकारी ना हो उसमें इतना पैसा लगाया ही क्यों l यह कंपनी खरीदकर हम आप पर अहसान कर रहे हैं बिल्फोर्ड के यह शब्द दिल और दिमाग पर छा गए l रतन टाटा वहां से अपने अपमान का घूंट पीकर इस डील को कैंसिल कर वापस भारत आ गए l बिल्फोर्ड का वह अपमानित करने वाला वाक्य उन्हें लगातार बेचैन कर रहा था उनकी रातों की नींद उड़ गई थी, बस इसके बाद रतन टाटा ने निश्चय कर लिया कि वह इस कंपनी को किसी को नहीं बचेंग और लग गए कंपनी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने के काम पर इसके लिए उन्होंने एक रिसर्च टीम तैयार की और बाजार का बाजार का मन टटोला कि हम फेल क्यों हुए इसके बाद की कहानी सभी को पता है कि भारतीय बाजार के साथ-साथ विदेश में भी टाटा इंडिका ने सफलता का परचम लहराया l तो वही इस घटना की कुछ समय बाद ही फोर्ड कंपनी का पतन शुरू हो गया साल 2008 के आते-आते फोर्ड कंपनियां दिवालिया होने की कगार पर आ गई मौके की नजाकत को समझते हुए रतन टाटा ने फोर्ड की लग्जरी कर लैंड रोवर और जेगवार बनाने वाली #JLR को खरीदने का प्रस्ताव रख दिया जिसे फोर्ड ने स्वीकार भी कर लिया इसके बाद मीटिंग के लिए बोर्ड के अधिकारी भारत आए और मुंबई हाउस में वह ऐतिहासिक मीटिंग हुई इसके बाद यह सौदा लगभग 2.3 अरब डॉलर में तय हुआ तब बिल्फोर्ड ने रतन टाटा से वही बात दोहराई जो उन्होंने रतन टाटा से तब कही थी जब रतन टाटा इंडिका कंपनी को शुरुआत के दिनों में बेचने अमेरिका गए थे लेकिन इस बार थोड़ा बदलाव था अब मुंबई की मीटिंग में बिल्फोर्ड के शब्द थे आज आप हमारी कंपनी खरीद कर आप हम पर बड़ा एहसान कर रहे हैं l कहते हैं महान लोग अपना जवाब बातों से नहीं सफलता से देते हैं और आज #JLR रतन टाटा ग्रुप का हिस्सा है और बाजार में बंपर प्रॉफिट के साथ आगे बढ़ रहा है l

26/11 मुंबई का आतंकी हमला और रतन टाट...

मुंबई टेरर अटैक जो कि शायद ही कोई भूल पाएगा 26 नवंबर 2008 का मुंबई आतंकी हमला जिसे #लश्कर-ए-तैयबा ने प्लान किया था l जिसमें 166 निर्दोष लोगो ने अपनी जान गवादी एवं नौ आतंकवादी मारे गए थे और #अजमल कसाब को जिंदा पकड़ लिया गया l इसके बाद में अजमल कसाब को 21 नवंबर 2012 को पुणे के #यरवदा जेल में फांसी दी गईl इस घटना में देश के साथ-साथ रतन टाटा को भी पूरी तरह हिला दिया क्योंकि आतंकी हमले के निशाने पर था मुंबई का प्रीमियम होटल, मुंबई का ताज रतन टाटा ने एक इंटरव्यू में बताया कि उस दिन मुझे कॉल आया मुझे बताया गया कि ताज में गोलियों की आवाजें आ रही हैं मैंने ताजहोटल में कॉल किया लेकिन किसी ने रिप्लाई नहीं किया उस दिन में आधा घर पर था और आधा ताज में और टीवी पर अपनी आंखों से वह सब देख रहा था ll

यहां रतन टाटा का वह रूप देखने को मिला जिसमें उनका कद हम सब के दिमाग में और भी बड़ा कर दिया बाद में रतन टाटा उस गंभीर स्थिति में भी ताज के पास खड़े थे लोगों को आश्वासन देने के लिए अस्पताल में मिलने गए जो इस घटना में गंभीर घायल हुए l जिन कर्मचारियों की जान इस घटना में चली गई उनकी सारी जिंदगी की सैलरी एक साथ उनके परिवार वालों को एक मुस्त दे दी और उनके बच्चों के लिए पूरी दुनिया में कहीं भी एजुकेशन के साथ-साथ मेडिकल सपोर्ट भी पूरी तरह फ्री कर दिया l जिंदगी भर के लिए उन लोगों को काउंसलर प्रोवाइड कराया गया उन कर्मचारियों के लिए ही नहीं बल्कि होटल के पास जो ठेला लगाते थे जिनसे टाटा ग्रुप का कोई लेना-देना नहीं था या पैदल जा रहे लोग जिनको शायद रतन टाटा जानते भी नहीं थे वह पुलिस कर्मी जो इस घटना का शिकार हुए उन सभी के लिए रतन टाटा ने अपने खजाने खोल दिए कि किसी को भी पैसों को लेकर कोई दिक्कत ना हो जहां सरकार के मुआवजे सालों लग जाते हैं वहां रतन टाटा ने एक महीने के अंदर सभी को उम्मीद से ज्यादा दिया l कहते हैं नियत साफ हो तो काम करने में समय नहीं लगता और बहुत कम समय में ताज होटल को पहले से भी ज्यादा खूबसूरत बना दिया मानो  रतन टाटा आतंकियों को यह मैसेज दे रहे हो कि तुम जान ले सकते हो, इमारते कर सकते हो लेकिन हमारे हौसलों को कभी नहीं गिर सकते l

रतन टाटा ने शादी नहीं की क्यों ?

ratan tata wife-सारे जहां को प्यार बांटने वाला यह शख्स अपने जीवन में अकेला क्यों रहा रतन टाटा की शादी को लेकर कहानी और भी दिलचस्प है l रतन टाटा शादी भी करना चाहते थे और अपना घर भी बसना चाहते थे लेकिन न जाने क्यों कुदरत ने उन्हें मौका नहीं दिया जब वह अमेरिका में थे तब उन्हें वहां की एक लड़की से मोहब्बत हो गई थी और क्यों ना हो क्योंकि उम्र ही कुछ ऐसी थी और उससे शादी भी करना चाहते थे तभी उन्हें अपनी बीमार दादी से मिलने भारत आना पड़ा वह दादी जिन्होंने बचपन में रतन टाटा को पाल पोस कर बड़ा किया वह दादी ही थी जो उनके दिल के बहुत नजदीक थी उन्होंने भारत लौटते वक्त उसे लड़की से कहा चलो भारत चलते हैं वहीं चलकर शादी कर लेंगे लेकिन उस लड़की के मां-बाप ने उसे इंडिया नहीं आने दिया क्योंकि उस समय इंडिया चायना की लड़ाई #WAR चल रही थी फिर बाद में उस लड़की ने वही किसी दूसरे के साथ शादी कर ली रतन टाटा बताते हैं उन्हें चार बार प्यार हुआ हर बार उनकी शादी बस होने ही वाली थी तभी किसी न किसी कारण से भी खुद पीछे हट जाते, कभी काम में व्यस्त होने की वजह से, कभी शादी को लेकर एंजायटी की वजह से l वह कहते हैं जब पीछे मुड़कर देखता हूं जिसे शादी हो रही थी लगता है अच्छा हुआ की शादी नहीं हुई रतन टाटा की जिंदगी से जुड़े ऐसे ही कई पहलू हैं इन में से कुछ  उनके 86 में बर्थडे पर सादर समर्पित l

दीपक कुमार रजक…

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