आधुनिक हिंदी काव्य में कृष्ण – राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन हुआ संपन्न।

आधुनिक हिंदी काव्य में कृष्ण - राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन हुआ संपन्न।

The Topline – Narsinghpur :- आधुनिक हिंदी काव्य(modern hindi poetry) में कवियों ने  कृष्ण के जीवन के विभिन्न पक्षों  के चित्रण में मानव के चरम विकास की झांकी प्रस्तुत की है। वर्तमान समय में  कृष्ण काव्य की विद्यार्थियों एवं युवा पीढ़ी के जीवन में प्रासंगिकता एवं महत्व पर विचार विमर्श को लेकर स्थानीय स्वामी विवेकानंद शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय नरसिंहपुर(Swami Vivekananda Government Post Graduate College, Narsinghpur)में”आधुनिक हिंदी काव्य में कृष्ण” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन मध्य प्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग भोपाल एवं आंतरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वाधान में, प्राचार्य डॉक्टर ममता शर्मा तथा हिंदी विभाग के मार्गदर्शन में किया गया।जिसमे वक्ताओं के रूप में डॉ श्याम सुंदर दुबे पूर्व निदेशक मुक्तिबोध सृजन पीठ हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय सागर,डॉ श्री राम परिहार निदेशक निराला सृजन पीठ संस्कृति विभाग म. प्र. शासन भोपाल, डॉ. पवन अग्रवाल प्राध्यापक  लखनऊ विश्वविद्यालय एवं सभापति भारतीय हिंदी परिषद, डॉ सतीश चतुर्वेदी पूर्व प्राचार्य एवं वरिष्ठ साहित्यकार गुना  की उपस्थिति रही। आमंत्रित विशिष्ट विद्वानों में प्रो.पवन तिवारी ओएसडी क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा विभाग जबलपुर, प्रो. नुपुर निखिल देशकर, एवं डॉक्टर ध्रुव दीक्षित केसरवानी के साथ नरसिंहपुर के स्थानीय विद्वानों में डॉ. प्रकाश चंद्र डोंगरे, डॉ. माधव प्रसाद श्रीवास्तव, डॉ. के एल साहू, गुरु प्रसाद सक्सेना “सांड नरसिंहपुरी”के साथ नगर के गणमान्य नागरिक पत्रकार एवं महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं के साथ अधिकारियों कर्मचारियों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों की उपस्थिति सराहनीय रही। शोध संगोष्ठी में उद्घाटन सत्र १०बजे  प्रारंभ होकर तीन तकनीकी सत्रों के पश्चात समापन सत्र रखा गया।उद्घाटन सत्र में दीप प्रज्ज्वलन,मां सरस्वती वंदना एवं राष्ट्रीय गीत के उपरांत डॉ. ममता शर्मा, डॉ. राजहंस एवं डॉ नमिता साहू के द्वारा मंचासीन अतिथियों  को शॉल, श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह भेंट किए गए।  स्वागत वक्तव्य प्राचार्य महोदय एवं शोध परिकल्पना डॉ. नमिता साहू ने प्रस्तुत की। बीज वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए डॉ.श्यामसुंदर दुबे ने कृष्ण के चरित्र लीला एवं व्यक्तित्व के ऐश्वर्य का वर्णन करते हुए बताया कि कृष्ण ने पूर्व से पश्चिम को जोड़ा तो राम ने उत्तर से दक्षिण को जोड़ा दोनों की यात्राओं का मिलन बिंदु है मध्य भारत और वह शिव का स्थान।

आधुनिक हिंदी काव्य में कृष्ण - राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन हुआ संपन्न
कृष्ण की शक्ति केंद्र अभिमुख है तो राम की शक्ति केंद्र अपसारिक है दोनों ने ही भारत को संस्कारित किया ।राम,कृष्ण शिव तीनों के बिना भारत की पहचान संभव नहीं है।प्रथम तकनीकी सत्र में डॉ. सतीश चतुर्वेदी शाकुंतल ने  बंगाल का अकाल, अंग्रेजों के दमन के कारण समाज की दयनीय स्थिति देखकर कवि अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध रचित खड़ी बोली का प्रथम महाकाव्य  “प्रिय प्रवास “में वर्णित कृष्ण के लोक सेवक रूप को विद्यार्थियों के सम्मुख रखा।द्वितीय तकनीकी सत्र में डॉ. पवन अग्रवाल ने अपने शोध पत्र में कहा की कृष्ण स्वतंत्रता, समानता ,लोक जीवन की गरिमा गाते हैं। अपने वक्तव्य में उन्होंने विद्यार्थियों को कृष्ण के स्वरूप को तार्किक रूप से ग्रहण करने के लिए प्रेरित  किया। एवं कृष्ण को समय की कसौटी पर कसकर  भविष्य के लिए प्रेरणादाई व्यक्तित्व के रूप में प्रस्तुत किया।तृतीय तकनीकी सत्र में डॉ श्रीराम परिहार ने राष्ट्रीय कवि मैथिली शरण गुप्त कृत द्वापर, जयद्रथ वध, भारतवर्ष  माखनलाल चतुर्वेदी कृत कृष्ण अर्जुन रामधारी सिंह दिनकर कृत  रश्मिरथी, डॉ धर्मवीर भारती कृत अंधा युग, कनुप्रिया आदि काव्य ग्रंथों के उदाहरण प्रस्तुत कर कृष्ण के ईश्वर ,परंतप एवं विराट रूप को चित्रित करते हुए  युद्ध की निरर्थकता एवं शांति के  पक्षधर रूप को  प्रस्तुत करते हुए कृष्ण काव्य की युवान की व्याख्या प्रस्तुत(Yuvan’s interpretation of Krishna poetry)की।शोध पत्रों का हुआ वाचन
तीन तकनीकी सत्रों में भारतवर्ष के विभिन्न महाविद्यालय से आए केरल से डॉ. प्रिया उदयन, डॉ.भगवान सिंह (भिंड), डॉ. सत्या सोनी(उमरिया), डॉ. योग्यता भार्गव अशोक नगर, छिंदवाड़ा से डॉ.सीमा सूर्यवंशी एवं डॉ. टीकमणी पटवारी,  गाडरवारा से डॉ.जवाहर शुक्ला, बड़वानी से शिक्षक विजय पाटिल ,यमुना विश्वकर्मा एवं हिंदी विभाग की  प्रथम एवं तृतीय सेमेस्टर के छात्र-छात्राओं में अनामिका, सपना, रजनी, दीक्षा, रोहित एवं देवांश ने शोध पत्रों का वाचन किया।तकनीकी सत्रों  के प्रतिवेदक के रूप में डॉ.रामता प्रसाद आम्रवंशी ,डॉ. मनोज विश्वकर्मा एवं डॉ गनेश  सोनी रहे। समापन सत्र की अध्यक्षता डॉ. प्रकाश चंद्र डोंगरे ने की ।कार्यक्रम का संचालन एवं आभार प्रदर्शन संगोष्ठी संयोजक डॉ.नमिता साहू सहा. प्रा. हिंदी विभाग द्वारा किया गया।

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