Narsinghpur – नितेश मालवीय- Hit & Run केश कानून को सभी लोग अपने अपने अनुसार समझ रहे हैं । सरकार कह रही है कि यदि एक्सीडेंट होने के बाद ड्राइवर भाग जायेगा तो उस पर अटेम्प्ट टू मर्डर और मर्डर केस की धारायें लगेंगी , और यदि वो ड्रायवर वहाँ रुक कर उस व्यक्ति की मदद करेगा और हॉस्पिटल पहुंचायेगा तो धारायें बदल जायेंगी ….. बाहर से देखने पर ये बहुत अच्छा लग रहा है लेकिन प्रेक्टिकली ये संभव नहीं क्योंकि एक्सीडेंट होने के बाद वहाँ की गुस्साई भीड़ उस ड्रायवर का केस चलने और धाराये लगने से पहले ही ऑन स्पॉट सजा दे देती है ।
ये तो इसका एक पहलू है , दूसरी ओर कोई भी एक्सीडेंट होने के कई पहलू होते हैं…. मसलन सड़क की हालत कैसी है आज कुछ बड़े हाईवे छोड़कर सभी सड़के लगभग उखड़ी हुई स्थिति में हैं जो सड़क पर होने बाली दुर्घटनाओं के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं तो क्या सही मायने में बाहन चालक ही दुर्घटना का जिम्मेदार होता है ? सड़क पर चलने बाले लोग कहीं नशे में तो नहीं हैं हम देखते हैं कि लगभग हर हाईवे पर बड़ी बड़ी शराब की दुकानें हैं क्या इनको बंद नहीं कराना चाहिए ?
पहले सरकारी बाहनों की जिम्मेदारी तय होती थी लेकिन अब तो सभी बाहन निजी मालिकों के हैं । जिनपर मुनाफा कमाने का फितूर सवार है । जो ड्रायवरो पर नाहक ही दबाव डालते हैं कि कम से कम इतने चक्कर एक दिन में आपको लगाने हैं फिर चाहे वो यात्री बाहन हो या माल बाहक बाहन । इसी दबाव के चलते बाहन की गति और बाहन की फिटनेस दौनो पर मालिकों की ओर से ध्यान नहीं दिया जाता ये कारक भी दुर्घटना होने में जिम्मेदार हैं अकेला ड्रायवर ही दोषी नहीं होता । बाहन की गलत फिटनेस जारी कराने के लिए RTO कार्यालय से घूसखोरी की शिकायतें मिलना आम बात है ।
वर्तमान हड़ताल में बाहन चालकों के पहलू पर विचार करना भी जरूरी है सरकार सभी दुर्घटना होने बाले कारको को पहले खत्म करे तो Hit & run कानून ठीक है , इंशानियत के नाते बाहन चालकों को घटना के बाद घायल की मदद करना चाहिए ।





